ईरान की इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता हज़रत आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने सोमवार को हज़ारों छात्रों और विद्यार्थियों से मुलाक़ात में कहा कि अमेरिकी दूतावास पर कब्ज़े ने अमेरिकी सरकार की असली पहचान को उजागर कर दिया।
तेहरान में हज़ारों छात्र और विद्यार्थियों ने तेहरान में अमेरिकी जासूसी के अड्डे बने उसके दूतावास पर छात्रों के कब्जे की बरसी के अवसर पर हुसैनिया इमाम ख़ुमैनी में आयतुल्लाह ख़ामेनेई से मुलाक़ात की।
आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने कहा कि 13 आबान इतिहास में गर्व और विजय का दिन है, और इसे राष्ट्रीय स्मृति में रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि अमेरिका का दूतावास “इंकलाब के ख़िलाफ़ साज़िशों का अड्डा” था। इसीलिए यह कहना कि इस दिन से ईरान-अमेरिका की दुश्मनी शुरू हुई, सही नहीं है।
अमेरिका की साज़िशों ने इमाम ख़ुमैनी के इस कथन को सही साबित किया कि “जितना ग़ुस्सा और फ़रियाद है, अमेरिका पर निकालो।” उन्होंने कहा कि इस्लामी गणराज्य और अमेरिका के बीच मतभेद कोई रणनीतिक या अस्थायी नहीं, बल्कि बुनियादी और मौलिक हैं।
कुछ लोग इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश करते हैं और मानते हैं कि यह मतभेद “अमेरिका मुर्दाबाद” के नारे से शुरू हुआ, जबकि यह एक भोलापन है।
उन्होंने कहा कि देश की समस्याओं का असली समाधान प्रबंधन, विज्ञान, सेना और प्रेरणा के क्षेत्र में मज़बूत बनना है ।
उन्होंने कहा कि जब तक अमेरिका, ज़ायोनी शासन का समर्थन करता रहेगा, क्षेत्र में सैन्य ठिकाने बनाए रखेगा और हस्तक्षेप करेगा, तब तक ईरान से सहयोग संभव नहीं है।
आपकी टिप्पणी